जो राजनीतिक पार्टियाँ चुनाओं में आम जनता के बीच जाकर उच्च आदर्शों और नैतिकता का पाठ पढ़ाती हैं और आम आदमी के हक की बातें करती हैं सत्ता में आने के बाद वे किस तरह से अपने कहे हुए के खिलाफ आचरण करने लगती हैं अब यह बात आम हो चुकी है ...
सबसे लम्बे समय तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी जो गाँधी-जवाहर और लाल बहादुर शास्त्री की बातें करते थकती नहीं उसके सन्दर्भ में मै कुछ मौलिक सवाल पूछना चाहता हूँ .सोनिया गाँधी पूरे देश में घूम-घूम कर कह रही हैं कि उनकी सर्कार स्वर्गीय राजीव गाँधी के सपनों को साकार कर रही है ...क्या राजीव गाँधी का सपना यही था की हर रोज़ गरीबी अमीरी की खाई चौड़ी होती जाये जैसा कि आज के आकडे बता रहे हैं .दूसरी बात यह की भुखमरी और कुपोषन में भारत दो कदम और ऊपर निकल जाये यहाँ तक की पाकिस्तान से भी खराब रैंकिंग में आ जाय?
किसानों के बारे में तरह-तरह के दावे बिलकुल गलत साबित हो रहे हैं .पिचले दस सालों में लगभग एक लाख किसानों ने आत्महत्या किया है इसके लिए किसकी नीतियाँ ज़िम्मेदार हैं? जरा सोचिये .शिक्षा का अधिकार कानून लाया गया है लेकिन गरीबों और लाचारों के बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं और जो जा भी रहे हैं वो क्या पढ़ रहे हैं उसे भगवान् ही जानता है .वैसे भी देश में अंग्रेज़ी शिक्षा का महत्व इतना बढ़ गया है कि हिंदी तथा राज्य स्तरीय भाषाओँ की कोई कीमत ही नहीं रह गयी है ..सबको मालूम है की इंग्लिश माध्यम की पढ़ाई से ही नौकरियाँ मिल रही हैं और उस पर केवल अमीरों का आधिपत्य है ....आखिर कैसे इस देश को आगे ले जाने के बारे में कांग्रेस पार्टी सोच रही है....
स्वास्थ के मामले में हम इतना पीछे रह गए हैं की ग्रामीण इलाकों में गंभीर बीमारी होने पर मरीज़ रस्ते में ही दम तोड़ देता है ...हमारी सरकार मेडिकल कॉलेज खोलने की जगह कामनवेल्थ का गेम शायद इस लिए कराती है की इसके जरिये कुछ पूंजीपति और नेता एवं अधिकारी मालामाल हो जायं ...
स्वास्थ मंत्री के मुताविक केवल शहरों में ५.५ लाख डाक्टरों की कमी है गावों की बात तो भूल ही जाइए . जिस देश की ८०% जनता गावों में रहती हो वहाँ तीन घंटा भी गारंटी के साथ बिजली नहीं मिल रही है खेती तो आयल इंजन के भरोसे हो रही है . यहाँ तक की बड़े-बड़े कस्बों और राजधानी के निम्न आय वाले इलाकों में बिजली राम भरोसे ही रहती है. और हमारा कार्पोरेट जो सरकार के आशीर्वाद से मुनाफे का रिकॉर्ड कायम कर रहा है वह डे नाईट क्रिकेट मैच कराता है कहने वाले कह सकते हैं की अरे यार क्या छोटी-छोटी बात कर रहे हो इसमें कितना बिजली खर्च हो जाती है.. लेकिन मैं उस सोच की बात कर रहा हूँ जो दूसरों को अँधेरे में रख कर रंगरलियाँ मनाने का माहौल बनाया जा रहा है..
देश को आगे ले जाने वालो में एक ज़ज्बा होना चाहिए जो अन्याय को बिलकुल भी बर्दास्त ना करे. क्या ऐसी बेचैनी कभी देखा आप ने इन कांग्रेस्सियों में? हैरत की बात है इतने गरीब देश में ख़ास कर राजधानी दिल्ली में लाखो लोग बेघर हैं वहां सोनिया जी और राहुल गाँधी अलग-अलग बड़ी-बड़ी आलिशान कोठियों में रहते हैं बाकी आप खुद ही अनुमान लगा लीजिये के इनकी सुरक्षा पर कितना खर्च होता होगा...
अब आइये कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र की बात करें... राहुल गाँधी घूम घूम कर कह रहे हैं कि वे पार्टी के अन्दर डेमोक्रेसी ला रहे हैं उनसे कोई पूछे कि भाई आप को माँ की अध्यक्छता वाली पार्टी ने डायरेक्ट पार्टी का महासचिव बना दिया .क्या कांग्रेस पार्टी में आज तक किसी और को इस तरह इतना बड़ा पद दिया गया है केवल राजीव गाँधी को छोड़ कर .शायद यही कारण है की दिल्ली विश्वविद्यालय के स्टुडेंट्स यूनियन के चुनाव में राहुल गाँधी की बातों पर स्टुडेंट्स ने ध्यान नहीं दिआ और एन एस यू आई आई बुरी तरह चुनाव हार गयी. जबकि राहुल उसके इंचार्ज हैं?
बिना किस्सी प्रभाव के राहुल गाँधी कांग्रेस पार्टी के बादशाह बनकर घूम रहे हैं .पढ़ा-लिखा तबका और नई उम्र के लोग कांग्रेस पार्टी से नफरत करने लगे हैं, लोग मान चुके हैं कि यह पार्टी वंशवाद कों भी पीछे छोड़ते हुए भारत में एक राजवंश स्थापित कर रही है जो लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गया है .