Saturday, October 16, 2010

कांग्रेस पार्टी और एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में क्या फर्क है?..

जो राजनीतिक पार्टियाँ चुनाओं में आम जनता के बीच जाकर उच्च आदर्शों और नैतिकता का पाठ पढ़ाती हैं और आम आदमी के हक की बातें करती हैं सत्ता में आने के बाद वे किस तरह से अपने कहे हुए के खिलाफ आचरण करने लगती हैं अब यह बात आम हो चुकी है ...

सबसे लम्बे समय तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी जो गाँधी-जवाहर और लाल बहादुर शास्त्री की बातें करते थकती नहीं उसके सन्दर्भ में मै कुछ मौलिक सवाल पूछना चाहता हूँ .सोनिया गाँधी पूरे देश में घूम-घूम कर कह रही हैं कि उनकी सर्कार स्वर्गीय राजीव गाँधी के सपनों को साकार कर रही है ...क्या राजीव गाँधी का सपना यही था की हर रोज़ गरीबी अमीरी की खाई चौड़ी होती जाये जैसा कि आज के आकडे बता रहे हैं .दूसरी बात यह की भुखमरी और कुपोषन में भारत दो कदम और ऊपर निकल जाये यहाँ तक की पाकिस्तान से भी खराब रैंकिंग में आ जाय?

किसानों के बारे में तरह-तरह के दावे बिलकुल गलत साबित हो रहे हैं .पिचले दस सालों में लगभग एक लाख किसानों ने आत्महत्या किया है इसके लिए किसकी नीतियाँ ज़िम्मेदार हैं? जरा सोचिये .शिक्षा का अधिकार कानून लाया गया है लेकिन गरीबों और लाचारों के बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं और जो जा भी रहे हैं वो क्या पढ़ रहे हैं उसे भगवान् ही जानता है .वैसे भी देश में अंग्रेज़ी शिक्षा का महत्व इतना बढ़ गया है कि हिंदी तथा राज्य स्तरीय भाषाओँ की कोई कीमत ही नहीं रह गयी है ..सबको मालूम है की इंग्लिश माध्यम की पढ़ाई से ही नौकरियाँ मिल रही हैं और उस पर केवल अमीरों का आधिपत्य है ....आखिर कैसे इस देश को आगे ले जाने के बारे में कांग्रेस पार्टी सोच रही है....

स्वास्थ के मामले में हम इतना पीछे रह गए हैं की ग्रामीण इलाकों में गंभीर बीमारी होने पर मरीज़ रस्ते में ही दम तोड़ देता है ...हमारी सरकार मेडिकल कॉलेज खोलने की जगह कामनवेल्थ का गेम शायद इस लिए कराती है की इसके जरिये कुछ पूंजीपति और नेता एवं अधिकारी मालामाल हो जायं ...

स्वास्थ मंत्री के मुताविक केवल शहरों में ५.५ लाख डाक्टरों की कमी है गावों की बात तो भूल ही जाइए . जिस देश की ८०% जनता गावों में रहती हो वहाँ तीन घंटा भी गारंटी के साथ बिजली नहीं मिल रही है खेती तो आयल इंजन के भरोसे हो रही है . यहाँ तक की बड़े-बड़े कस्बों और राजधानी के निम्न आय वाले इलाकों में बिजली राम भरोसे ही रहती है. और हमारा कार्पोरेट जो सरकार के आशीर्वाद से मुनाफे का रिकॉर्ड कायम कर रहा है वह डे नाईट क्रिकेट मैच कराता है कहने वाले कह सकते हैं की अरे यार क्या छोटी-छोटी बात कर रहे हो इसमें कितना बिजली खर्च हो जाती है.. लेकिन मैं उस सोच की बात कर रहा हूँ जो दूसरों को अँधेरे में रख कर रंगरलियाँ मनाने का माहौल बनाया जा रहा है..

देश को आगे ले जाने वालो में एक ज़ज्बा होना चाहिए जो अन्याय को बिलकुल भी बर्दास्त ना करे. क्या ऐसी बेचैनी कभी देखा आप ने इन कांग्रेस्सियों में? हैरत की बात है इतने गरीब देश में ख़ास कर राजधानी दिल्ली में लाखो लोग बेघर हैं वहां सोनिया जी और राहुल गाँधी अलग-अलग बड़ी-बड़ी आलिशान कोठियों में रहते हैं बाकी आप खुद ही अनुमान लगा लीजिये के इनकी सुरक्षा पर कितना खर्च होता होगा...

अब आइये कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र की बात करें... राहुल गाँधी घूम घूम कर कह रहे हैं कि वे पार्टी के अन्दर डेमोक्रेसी ला रहे हैं उनसे कोई पूछे कि भाई आप को माँ की अध्यक्छता वाली पार्टी ने डायरेक्ट पार्टी का महासचिव बना दिया .क्या कांग्रेस पार्टी में आज तक किसी और को इस तरह इतना बड़ा पद दिया गया है केवल राजीव गाँधी को छोड़ कर .शायद यही कारण है की दिल्ली विश्वविद्यालय के स्टुडेंट्स यूनियन के चुनाव में राहुल गाँधी की बातों पर स्टुडेंट्स ने ध्यान नहीं दिआ और एन एस यू आई आई बुरी तरह चुनाव हार गयी. जबकि राहुल उसके इंचार्ज हैं?

बिना किस्सी प्रभाव के राहुल गाँधी कांग्रेस पार्टी के बादशाह बनकर घूम रहे हैं .पढ़ा-लिखा तबका और नई उम्र के लोग कांग्रेस पार्टी से नफरत करने लगे हैं, लोग मान चुके हैं कि यह पार्टी वंशवाद कों भी पीछे छोड़ते हुए भारत में एक राजवंश स्थापित कर रही है जो लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गया है .

Sunday, October 3, 2010

झूठी शान

-असरार खान-

पनी झूठी शान दिखाने के लिए हमारी सरकार किस तरह उतावली है. यह देख कर भी अगर देश की जनता को अपनी सरकार और राजसत्ता के बारे में भ्रम बना रहता है तो फिर भगवान् भी उसका भला नहीं कर सकता . कामनवेल्थ गेम के नाम पर देश की जनता की गाडी कमाई को पानी की तरह बहाया जा रहा है .भ्रस्टाचार का भी इतना बेशर्म चेहरा देशवासियों ने कभी नहीं देखा था.

कौन नहीं जानता की असली भारत गावों में बसता है और उसके जीवन अस्तर में दिनों-दिन गिरावट आ रही है .उसके बाल-बच्चे उच्च शिक्षा के अवसरों से लगातार दूर होते जा रहे हैं .इस खेल के बाद महगाई और तेजी से बढेगी यानी की रुरल-अर्बन के बीच की खाई और गहरी हो जायेगी . इस खेल के बाद खुद डेल्ही कई निम्न और आभिजात्य भागों में बंट जायेगी .

हमारे स्वास्थ मिनिस्टर ने पिछले दिनों राज्यसभा में खुद यह स्वीकार किया था की देश के केवल शहरी इलाकों में ५.५ लाख डॉक्टरों की कमी है जिसे अगले ५५ साल में शायद पूरा किया जा सके गाव की बात तो दिमाग से ही निकल दीजिये .लगभग १००० करोड़ रुपये की लगत से जवाहर लाल नेहरु स्तादियम की मरम्मत कराइ गयी है जरा सोचिये इतने धन से क्या खेल गाँव के बगल में एक नया स्टेडियम नहीं बनाया जा सकता था.?.. और उसका नाम कोम्मोंवेअल्थ स्टेडियम रखा जाता न की नेहरु-नेहरु गाँधी-गाँधी यानी की जिन शब्दों को सुनते-सुनते अब आम आदमी को नफरत सी होने लगी है उससे निजात भी मिल जाता....... और ओह जगह भी सुन्दर थी लेकिन तब शायद इतना बड़ी लूट ना हो पाती

बहरहाल मैं तो शिर्फ़ ये कहना चाहता हूँ की हमारे देश को उन्नति के रास्ते पर ले जाने की कोई कोशिश ही नहीं हो रही है बल्कि देश को अमीर-गरीब, शहर और गाँव में बांटने की साजिस हो रही है .दिल से ये बात निकल रही है रोक नहीं पा रहा हूँ की गाँधी जी ने देश की आज़ादी के समय क्रन्तिकारी खून में मीठे ज़हर की सूई लगा दिया और भारत उन्हीं अन्ग्रेज्परास्तों के हात की कठपुतली बन कर रह गया. अहिंसा और सुधारवाद की थेवरी से कोई देश समूचे देशवासियों के साथ इन्साफ नहीं कर सकता जैस्सा की परिडाम आज आप के सामने है कमसे कम एक बार तो भारत को रेडिकल चेंज की जरूरत थी .

देश के अन्दर दस साल में लगभग एक लाख किसानो ने आत्महत्या कर लिया और हमारी सरकारें साइनिंग इण्डिया का नारा लगाती रहीं.... है न कितना अजीब बात यह ?..ना स्कूलों में मास्टर हैं और नं अस्पताल हैं ना सड़कें हैं गाँव वालों को बिजली ही नहीं मिल रही है. ग्रामवासियों को कर्ज नहीं मिलता ये सब क्या गिनाऊ. आप लोग खुद मुझसे ज्यादा ही जानते हैं लेकिन आदत से मजबूर हूँ लिखने लगता हूँ माफ़ कीजियेगा ..इन दिनों आप राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी का भी चेहरा नहीं देख रहे होंगे जैसे गेम खतम होगा ये किस निर्लज्जता से आम आदमी की बात करना शुरू कर देंगे. यह अगले चंद दिनों में देखिएगा ,

तमाम आरोपों के बावजूद कलमाड़ी को हटाने की हिम्मत नहीं हो सकी कारण साफ़ है लूट में इनके लोग भी शामिल हैं चुनाओं में सबसे ज्यादा कालेधन का स्तेमाल कौन पार्टी करती है यह भी किसी से छुपा नहीं है ...खेलों में जहां चार मेडल हमने जीता उसी का ढिंढोरा पीता जाएगा यह तो सबको मालूम ही है उसके बाद पिचली सारी बातें दब जायेंगी, यही तो है राज करने का तरीका ...

कोई यह नहीं सोचे की हमें खेलों में रूचि नहीं है ..हम भी खेल को बहुत पसंद करते हैं लेकिन ये खेल अभी भारत में होने लायक नहीं थे हमारे यहाँ करोणों लोग भीख मांगते हैं देश पर बहुत बड़ा विदेशी कर्ज है ..सच ये है की हम एक बहुत ही गरीब और बैकवर्ड देश हैं लोगों की आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं ...पर- कैपिटा इनकम और ग्रोथ रेट दिखा कर दुनिया के सामने तो आप डींग हांक सकते हैं लेकिन देश की हालत पर ग़ालिब की यह पंक्तियाँ बहुत सटीक बैठती हैं....

''मुझको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन
दिल के बहलाने को ग़ालिब ख्याल अच्छा है ''.

Saturday, October 2, 2010